भारत में विभिन्न सरकारी सेवाओं में से पुलिस सेवा का अलग ही रौब है। लंबी कद-काठी वाले पुलिस के जवान दूर से ही अलग नजर आते हैं। अपराधियों से किस तरह डील करना है, यह पुलिस को अच्छी तरह से पता होता है।
इसके साथ ही राज्य स्तर पर पुलिस की अच्छी खासी धाक होती है। यही वजह है कि पुलिस की नौकरी को रौब की नौकरी भी कहा जाता है। खाकी वर्दी के साथ यदि कंधों पर सितारों को जोड़ दिया जाए, तो यह रौब और भी बढ़ जाता है।
भारत में कई युवाओं का सपना होता है कि वह पुलिस विभाग से जुड़कर खाकी वर्दी पहने और अपने करियर को उड़ान दे सके। हालांकि, क्या आपको पता है कि पुलिस में हमेशा से खाकी वर्दी ही क्यों पहनी जाती है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
पहले पहनी जाती थी सफेद वर्दी
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पहले भारत में पुलिस की वर्दी सफेद हुआ करती थी। भारत के अलग-अलग प्रांतों में सफेद वर्दी का चलन था और इसी से पुलिस की पहचान होती थी।
रंग बदलने का आया विचार
पुलिसकर्मी सफेद वर्दी पहनते थे, तो यह जल्दी गंदी हो जाती थी। इससे पुलिसकर्मियों के आगे वर्दी को साफ रखने में परेशानी होती थी। ऐसे में पुलिसकर्मियों को वर्दी को बार-बार धोना पड़ता था। इसको देखते हुए पुलिसकर्मियों ने वर्दी का रंग बदलने पर विचार किया।
1846 में उठा वर्दी का मुद्दा
भारत में 1757 में प्लासी का युद्ध लड़ा गया था, जिसमें बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को ब्रिटिश के हाथों हार का सामना करना पड़ा और इसके बाद भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का राज हो गया था।
ऐसे में साल 1846 में भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी राज कर रही थी। इस बीच उत्तर-पश्चिम प्रांत के गर्वनर हेनरी लॉरेंस के आगे 1846 में सफेद वर्दी का मुद्दा उठाया गया, जिसके बाद वर्दी का रंग बदलने का फैसला हुआ।
इस तरह चुना गया खाकी रंग
वर्दी का मुद्दा उठने के बाद एक अधिकारी की ओर से खाकी रंग का प्रस्ताव दिया गया और इसके बाद चाय की पत्तियों के माध्यम से सफेद वर्दी को खाकी रंग में बदला गया। ऐसा होने पर पहले के मुकाबले वर्दी जल्दी गंदी नहीं होती थी और अधिक दिन तक चल जाती थी। इसके बाद पुलिस में खाकी वर्दी का रंग तय हो गया।
पढ़ेंः भारत के किस शहर को कहा जाता है ‘Banana City’, जानें
Categories: Trends
Source: HIS Education