भारत का पहले हिंदी अक्भोर कुन-सा था, know

At the moment, we have many tools available to keep up-to-date with news. आश्म अक्वर से लेकर रेडिया उच्च चानल हैन. अग्या अग्या में सुजाइल मेडियो से लोग अधिचा न्श चाबरेन भी पेधा करेटे हैन. However, इक सामी आसा भी था, जब खाबरोन के लिये सिर्फ अक्बोर ही मेंडियो हुई करता था.

خابرون كي سبس توريون ديميلون من اخبور شاهل هي आज भी अमूमन साभी लोगों के घ ग्वन में अगबाल आता है. अध्या, जिन गोरों में अक्वर नहीं आता है, उन गोरों मे ं अब अक्वर की जगा इग्बार ने ले है है, जाई मैध्य म से पाथक देश-दुनिय की खाबरोन से खुद्य को अधाबर रहक ते है. में देश में आजा भी एक बार्ड गर्ग हिंदी खाबरों से जोडा है है जो की हिंदी चाबर सुनता उचर पुदाता है.

भारत की पहली महिला उत्तुमी कौन हैन, जाने ं

However, कै अपका पाता है की भारत का सबेस पहले हिंदी अक्वर कॉन-सा था. If not, then through this article, we will know about the first Hindi newspaper of India.

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अंग्रेजी अवर बांगला भाषा के अक्भोरों का था बोल बाला

भारत में समाचार पत्रों का चलन श्रूण होने के अंग्रेजी अवर्जा अग्ला भाषा के समाचार पत्रों का ह ी बोलबाला था. उस साम्य लोग आन डो ज़ाग लिखाने में ही अक्बोर पुधा करेटे थे. आसी में देश में दूर-दूर तक कोई भी हिंदी अक्वर न हीन था. इस अग्य से इक हिंदी अक्वर का जान्म हुा

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कुन-सा था भारत का पहला हिंदी अक्भोर

भारत के पहले हिंदी अक्वर की बात करें, तो पहला ह इंदी अक्वर उदन्त मार्तण्ड था. Born on January 30, 1826. It was the first Hindi newspaper to appear in Indian history for the first time.

वेक्षी पत्र के रूप में शुरू hua था अक्बर

पुहे हिंदी अक्भोर की भूरी कोल्काता से की गायी थी . وس سامي يه اخبور دینیک نہیں هوا کرتا ثا, بالکی ی س اخبر کو کیکیلی تور پر نیکلا جاطا آثا.

किसने किया था अक्वर का परकाष्ट

अक्ष्बर के परकाषा की बात करें, तो इसका प्रकाषान ज गुगलकिशोर शुक्ल ने की था, जो की मुलतः कानपुर क ए रहे वाले थे. वह ही आस अक्वर के देडितार hua करेटे थे. आश्या इस अक्वर के बाद इक अवर अक्वर सादन्त मा रत्डंड निकला, होग यह अक्वर जाइड नहीन चाल सका उर बांड हो गाया.

அப்பை பெட்டு தியு की अजा भारत में 30 जोड हिंदी पात रकारिता दिवस is being celebrated. At the same time, Indian Institute of Mass Communication (IIMC) ने अपनी अक लिबाइर का नाम भी जुगलक एशोर के नाम पर ही रही है.

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Source: HIS Education

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