भारत की 10 सबसे खूबसूरत बावड़ियां, जानें

भारत दुनिया के इतिहास में सबसे विकसित देशों में से एक था। प्राचीन काल में इसे सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था। भारत ने दुनिया को कई वास्तुशिल्प प्रदान किए हैं और उनमें से एक है बावड़ियां। बावड़ियों को कन्नड़ भाषा में कल्याणी या पुष्करणी, मराठी में बारव और गुजराती भाषा में वाव कहते हैं।

क्या होती है बावड़ी

बावड़ी एक कुआं या तालाब होता है, जिसे सीढ़ियों के साथ विस्तृत रूप से डिजाइन किया गया है और इसका उपयोग पानी भंडारण के लिए किया जाता है। बावड़ी बनाने का मुख्य उद्देश्य पूरे वर्ष पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना होता है।

बावड़ियों को बावड़ी, बावली या वाव के नाम से जाना जाता है और ये पूरे भारत में फैले हुए हैं, ज्यादातर गुजरात और राजस्थान राज्यों में फैली हुई हैं।

भारत की 10 सबसे खूबसूरत बावड़ियों की सूची

चांद बावड़ी, राजस्थान

चांद बावड़ी भारत की सबसे खूबसूरत बावड़ियों में से एक है, यह अपने विस्तृत काम के लिए जानी जाती है, जो हीरे के आकार की सीढ़ियों सी दिखती है, जो कुएं में उतरती है।

चांद बावड़ी राजस्थान के आभानेरी गांव में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण 9वीं शताब्दी में निकुंभ राजवंश के राजा चंदा के शासनकाल के दौरान किया गया था।

See also  Why King Charles Disclosed His Diagnosis While Kate Middleton Chose to Keep Hers Private (Exclusive)

यह सबसे उत्कृष्ट बावड़ियों में से एक है, जिसमें 3500 सीढ़ियां और कुल 13 मंजिलें हैं। सीढ़ियां ऊपर से लगभग 20 मीटर नीचे तक जाती हैं।

चांद बावड़ी को देश की सबसे गहरी बावड़ी भी कही जाती है। 

रानी की वाव, गुजरात

रानी की वाव चालुक्य राजवंश के स्थापत्य चमत्कार के सबसे आकर्षक साक्ष्यों में से एक है।

यह गुजरात के पाटन में स्थित है और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल भी है। इस बावड़ी का निर्माण 11वीं शताब्दी में रानी उदयमती ने अपने दिवंगत पति राजा भीमदेव प्रथम की स्मृति में करवाया था।

बावड़ी में सात स्तर हैं और प्रत्येक स्तर धार्मिक चित्रों और ग्रंथों से सुसज्जित है। ऐसा कहा जाता है कि इस बावड़ी का उपयोग पूजा स्थल के रूप में किया जाता था। बावड़ी की दीवारों पर विष्णु के कई अवतारों की विभिन्न छवियां पाई जा सकती हैं।

 

Jagranjosh

अग्रसेन की बावली, नई दिल्ली

अग्रसेन की बावली हेली रोड, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली में स्थित है। यह दिल्ली के सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। इस बावड़ी की लोकप्रियता में वृद्धि तब देखी गई, जब पीके फिल्म के कुछ दृश्यों को इस स्थान पर फिल्माया गया था।

किवदंतियों का कहना है कि इस बावली का निर्माण मूल रूप से राजा अग्रसेन द्वारा किया गया था, लेकिन इस बावड़ी की वास्तुकला से संकेत मिलता है कि इसे संभवतः पुनर्निर्मित किया गया था और यह संभवतः तुगलक या लोदी राजवंश के शासनकाल के दौरान 14 वीं शताब्दी की है।

वर्तमान समय में अग्रसेन की बावली प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के तहत एक संरक्षित स्मारक है।

See also  Mini crossword with answers: 07/25/2023

पुष्करणी, हम्पी, कर्नाटक

हम्पी में स्थित पुष्करणी भारत की सबसे खूबसूरत बावड़ियों में से एक है, जिसकी उत्पत्ति विजयनगर साम्राज्य से होती है। इन बावड़ियों का उपयोग विजयनगर साम्राज्य के शासनकाल के दौरान वार्षिक नाव उत्सव की मेजबानी के लिए किया जाता था।

इन बावड़ियों का उपयोग हम्पी के लोगों द्वारा पूजा स्थल के रूप में भी किया जाता था।

सूर्य कुंड, गुजरात

गुजरात में सूर्य कुंड एक बावड़ी है, जो सूर्य मंदिर के आसपास स्थित है। यह मोढेरा गांव, मेहसाणा, गुजरात में स्थित है।

इस बावड़ी का निर्माण 11वीं शताब्दी में चालुक्य राजवंश के भीमदेव प्रथम के शासन के तहत किया गया था। यह मंदिर गणेश, विष्णु और अन्य देवताओं को समर्पित 180 लघु मंदिरों के साथ है। 

अडालज वाव, अडालज, गुजरात

अडालज वाव जटिल नक्काशी के साथ पत्थर की चिनाई का उत्कृष्ट नमूना है। इसे 15वीं शताब्दी में महमूद बेगड़ा ने रानी रुदाबाई की याद में बनवाया था, जो वाघेला के सरदार वीरसिंह की पत्नी थीं।

रानीजी की बावली, कोटा

रानीजी की बावली एक बावड़ी है, जिसका निर्माण 17वीं शताब्दी में रानी नाथावती द्वारा किया गया था और यह अद्भुत वास्तुकला का दावा करती है। यह 46 मीटर गहरी बावड़ी है। यह शहर का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारक भी है।

 

Jagranjosh

पन्ना मीना का कुंड, जयपुर

जयपुर कुछ खूबसूरत संरचनाओं का घर है और उनमें से एक पन्ना मीना का कुंड है, जिसका निर्माण 16वीं शताब्दी में स्थानीय लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए किया गया था।

राजों की बावली, महरौली, नई दिल्ली

राजों की बावली का निर्माण 16वीं शताब्दी में दौलत खान द्वारा किया गया था। इसका उपयोग राजमिस्त्री के स्नान स्थल के रूप में किया जाता था। यह महरौली पुरातत्व पार्क की तीन बावड़ियों में से एक है। बावड़ी के पास एक मस्जिद है, जिसका उपयोग दौलत खान नमाज अदा करने के लिए करते थे।

See also  Travis Kelce Tells Taylor Swift 'You're the Best, Baby' in Mic'd Up Moment on Field After 2024 Super Bowl Win

बावली गौस अली शाह, फर्रुखनगर, गुड़गांव

बावली गौस अली शाह एक बावड़ी है, जिसका निर्माण गौस अली शाह ने करवाया था। इसका उपयोग क्षेत्र की महिलाएं स्नान करने के लिए करती थीं और इसमें ऐसे कमरे थे, जहां वे आराम कर सकती थीं। इसका निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था।

पढ़ेंः भारत का सबसे बड़ा शहर कौन-सा है, जानें

Categories: Trends
Source: HIS Education

Rate this post

Leave a Comment