भारत का अपना समृद्ध इतिहास रहा है। यहां की संस्कृति और अनूठी परंपराओं के बारे में विश्व में चर्चा होती है। यही वजह है कि भारत को करीब से देखने व जानने के लिए हर साल बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भारत का रूख करते हैं।
वे न केवल यहां के पर्यटन स्थलों पर घूमते हैं, बल्कि यहां की संस्कृति में घुल-मिलकर भारत को गहराई से समझने की कोशिश करते हैं। भारत के विभिन्न शहरों के बारे में जानने की अपनी इस सीरिज में हम इस लेख के माध्यम से एक नए शहर के बारे में जानेंगे।
क्या आपको पता है कि भारत के किस शहर को ज्ञान का शहर या ज्ञान की भूमि कहा जाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
किस शहर को कहा जाता है ज्ञान की भूमि
भारत में कुल 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। हालांकि, इनमें से एक ऐसा राज्य भी है, जहां बसे एक शहर को ज्ञान की भूमि कहा जाता है। आपको बता दें कि भारत के बिहार राज्य के नालंदा शहर को ज्ञान की भूमि कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है ज्ञान का शहर
भारत के इस शहर में कभी उच्च शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था। इस शहर में नालंदा महाविहार में बौद्ध धर्म के शिष्य व देश-विदेश के कई छात्र शिक्षा ग्रहण करते थे।
कुछ लेखों के मुताबिक, यहां पर करीब 10, 000 छात्रों के पढ़ने की व्यवस्था थी, जिनके लिए 2,000 शिक्षक हुआ करते थे। प्रसिद्ध चीनी यात्री रहे हेनसांग ने यहां पर करीब एक वर्ष तक शिक्षक और विधार्थी के तौर पर व्यतीत किया था।
आपको बता दें कि इस विश्विद्यालय में चीन, कोरिया, जापान, तिब्बत, इंडोनेशिया, तुर्की और फारस से छात्र यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुंचते थे।
किसने की थी स्थापना
इसकी स्थापना का श्रेय चौथी शताब्दी में गुप्त वंश के शासक कुमार गुप्त प्रथम को दिया जाता है। इसके बाद हेमंत कुमार गुप्त के उत्तराधिकारियों का विश्वविद्यालय को सहयोग मिला।
खास बात यह रही कि जब गुप्त वंश का पतन हुआ, तब भी इसके संरक्षण में कमी नहीं हुई। गुप्त वंश के बाद अन्य शासकों ने भी इसके संरक्षण पर काम किया।
उदाहरण के तौर पर भारत में महान सम्राट रहे हर्षवर्धन और पाल शासकों ने इस परिसर का संरक्षण किया।
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Source: HIS Education