दुनिया में विभिन्न देशों की सेना अपने देश की सुरक्षा करने में कठिन परिस्थितियों का सामना करती है। इस दौरान सैनिक दुर्गम पहाड़ियों और घाटियों में रहकर देश की हिफाजत करते हैं।
साहस और शौर्य से भरे इस काम में भारतीय सेना पीछे नहीं है, बल्कि भारतीय सैनिक दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान में कठिन परिस्थितियों में रहकर देश की हिफाजत करते हैं।
दुनिया का सबसे ऊंचा यह युद्ध का मैदान मौत का घर भी कहा जाता है, जहां खुद को जीवित रखना ही सबसे बड़ी चुनौती होती है।
यही वजह है कि यहां तैनात होने वाले सैनिकों को विशेष रूप से प्रशिक्षण दिया जाता है। इस लेख के माध्यम से हम सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान के बारे में जानेंगे।
कौन-सा है दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध का मैदान
दुनिया में सबसे ऊंचा युद्ध का मैदान सियाचीन ग्लेसियर है, जहां 21,000 फीट की ऊंचाई पर भारतीय सैनिक अपने साहस और शौर्य का परिचय देते हुए भारत की रक्षा करते हैं।
सियाचीन ग्लेसियर 74 किलोमीटर में फैला हुआ है और यह भारत के उत्तर में स्थित है। इस ग्लेसियर की गिनती दुनिया के सबसे लंबे ग्लेसियर में होती है। इसका सबसे निचला हिस्सा 11,000 फुट से ऊपर है।
वहीं, सबसे ऊंचा प्वाइंट 22,000 फुट ऊपर है। यह पूर्व में चीन और पश्चिम में पाकिस्तान से घिरा हुआ है। यहां 100 से ज्यादा पॉजीशन पर भारतीय सेना का नियंत्रण है।
-50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है तापमान
दुनिया की सबसे मुश्किल जगहों में शामिल इस स्थान पर जीवित रहना आसान नहीं है। क्योंकि, यहां पर सैनिकों को बेरहम मौसम की अधिक मार झेलनी पड़ती है। कभी-कभी यहां का तापमान -50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।
यानि खाने-पीने की हर चीज जम जाती है। वहीं, यह मुश्किलें तब और भी बढ़ जाती हैं, जब यहां हवा की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रतिघंटा तक बढ़ जाती है, जिसके सामने खुद को रोकना बहुत ही मुश्किल होता है।
मेन सप्लाई रूट है सिर्फ आसमान
दुनिया की इस खतरनाक जगह पर पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं जाती है, बल्कि यहां पहुचंने का सिर्फ हवाई मार्ग है। किसी भी प्रकार की कोई आपात स्थिति में सिर्फ हवाई मार्ग के माध्यम से ही यहां पर सहायता पहुंचना संभव है।
21,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान
सियाचीन ग्लेसियर में पहुंचने के लिए यहां 21,000 फीट की ऊंचाई पर हेलीकॉप्टर उड़ान भरता है। इसके लिए भारतीय वायु सेना के सिंगल इंजन वाले चीता हेलीकॉप्टर की सेवा ली जाती है। हालांकि, इसके अलावा भी कई विमान शामिल हैं।
इस तरह रहते हैं सैनिक
यहां विपरित मौसम परिस्थितियों में रहकर सैनिक देश की रक्षा करते हैं। खराब मौसम की वजह से सैनिकों में भूख की कमी, अपर्याप्त नींद और याददाश खोने के रिस्क होते हैं।
वहीं, यहां खाने-पीने के सामान के लिए हेलीकॉप्टर की मदद से आपूर्ति की जाती है। इसके साथ ही सैनिक खुद को गर्म रखने के लिए मिट्टी के तेल से आग जलाकर अलाव का सहारा लेते हैं।
पैरों को गर्म रखने के लिए पहने जाते हैं बैट्री वाले जूते
आपको बता दें कि इस इलाके में सैनिक खराब मौसम के कारण अपने पैरों को गर्म रखने के लिए विशेष प्रकार के जूते पहनते हैं। वे इसमें बैट्री उपकरण का इस्तेमाल करते हैं, जो कि उनके पैरों को गर्म रखने का काम करता है।
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Source: HIS Education