भारत के इस गांव को कहा जाता है ‘जुड़वां बच्चों का गांव’, जानें

भारत में आपने अलग-अलग गांवों के बारे में सुना और पढ़ा होगा। हर गांव की अपनी विशेषता है। यहां तक की असली भारत गांवों में ही बसता है। यही वजह है कि ऐसा भी कहा जाता है कि असली भारत की पहचान गांवों से ही होती है।

आज भी एक बड़ी आबादी गांवों में मौजूद कृषि क्षेत्र में कार्यरत है, जिससे भारत में अनाज की पूर्ति होती है और विदेशों में भी अनाज निर्यात किया जाता है। विविधताओं से भरे भारत के गांवों में आपको अलग-अलग चीजें भी देखने को मिलेंगी।

इन्हीं सब में एक ऐसा गांव भी है, जिसे जुड़वा बच्चों का गांव भी कहा जाता है। इस गांव में पहुंचने पर आपको करीब 400 जुड़वा बच्चे मिल जाएंगे, जिससे इस गांव को भारत में सबसे अलग पहचान मिलती है। कौन-सा है यह गांव और क्या है गांव की कहानी, जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

 

किस गांव को कहा जाता है ‘जुड़वां बच्चों का गांव’

भारत में आपने गांव के बारे में फसल, खेती, शुद्ध हवा और कच्चे मकानों के बारे में सुना और पढ़ा होगा। हालांकि, एक गांव ऐसा भी है, जिसे जुड़वा बच्चों का गांव कहा जाता है। यह गांव दक्षिण में केरल में स्थित मल्लापुरम जिले का कोडिन्ही गांव है। यहां जुड़वा बच्चों की जन्म दर भारत में सबसे अधिक है। 

 

कोचिन से 150 किलोमीटर दूर है गांव

मुस्लिम बहुल आबादी वाला यह गांव कोचिन शहर से करीब 150 किलोमीटर दूर है। यहां पहुंचने पर आपको गलियों में हमशक्ल बच्चे खेलते हुए मिल जाएंगे।

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यहां तक की यहां के स्कूलों में भी एक जैसे चेहरे वाले बच्चे पढ़ते हैं। इस गांव में कुल आबादी की बात करें, तो यहां की आबादी दो हजार लोगों से भी अधिक है। वहीं, इन लोगों में आपको करीब 400 जुड़वा बच्चे देखने को मिल जाएंगे। 

 

बच्चे और मां रहते हैं स्वस्थ

इस गांव में खास बात यह है कि जुड़वा बच्चों के जन्म के बाद मां और बच्चे, दोनों ही स्वस्थ रहते हैं। किसी को भी कोई मानसिक या शारीरिक बीमारी नहीं होती है। ऐसे में यहां लोग इसे कुदरत का करिश्मा भी कहते हैं। 

 

कई वैज्ञानिक कर रहे हैं शोध

भारत के इस गांव में औसतन 1000 बच्चों में 45 बच्चों का जुड़वा जन्म होता है, जबकि सामान्य तौर पर भारत में प्रति 1000 बच्चों पर 9 जुड़वा बच्चों का जन्म होता है। ऐसे में यह गांव अपने आप में अनूठा है।

इसको देखते हुए यहां पर कई वैज्ञानिक इस रहस्य के पीछे शोध भी कर रहे हैं। यहां पर बच्चों की देखभाल के लिए ट्वीन एंड कीन एसोसिएशन(टाका) का भी गठन किया गया है, जो कि यहां पर बच्चों की देखभाल का काम देखता है।

 

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Categories: Trends
Source: HIS Education

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