क्यों दिया जाता है शहरों को नाम
भारत में अलग-अलग शहरों को उनके मूल नाम के अलावा अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इससे लोग शहरों के प्रति आकर्षित होते हैं, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलता है और अंततः शहरों के राजस्व में भी बढ़ावा होता है। वहीं, शहरों के उपनाम की वजह से शहरों को देश-दुनिया में अपनी पहचान बनाने में भी मदद मिलती है।
किस शहर को कहा जाता है रैलियों का शहर
भारत में कई शहर ऐसे हैं, जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है। वहीं, इनमें से एक शहर ऐसा भी है, जिसे रैलियों का शहर भी कहा जाता है। आपको बता दें कि नई दिल्ली शहर को रैलियों का शहर भी कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है रैलियों का शहर
यह बात हम सभी को पता है कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी चौखट यानि संसद भवन दिल्ली में ही स्थित है। यही वह जगह है, जहां देश को लेकर बड़े-बड़े फैसले लिए जाते हैं, जिसके बाद इन फैसलों को देश के अलग-अलग राज्यों में अमलीजामा पहनाया जाता है।
इस बीच कई राजनीतिक पार्टियां व संगठन ऐसे भी होते हैं, जो कि सरकार के नए फैसलों से खुश नहीं होते हैं। ऐसे में वे इन फैसलों के खिलाफ दिल्ली पहुंचकर प्रदर्शन करते हैं।
इस दौरान धरना-प्रदर्शन और रैलियां निकाली जाती हैं। इसके लिए प्रशासन की ओर से जंतर-मंतर का स्थान दिया गया है, जहां पर कोई भी व्यक्ति, राजानीतिक पार्टी या संगठन धरना-प्रदर्शन कर सकता है।
हालांकि, यह करने से पहले उसे संबंधित थाने में जानकारी देनी होती है। साथ ही अपना विषय भी बताना होता है, जिससे पुलिस को पता रहता है कि कब और किस दिन कौन-सी रैली और प्रदर्शन है। इसके लिए बकायदा एक बीट कांस्टेबल को भी तैनात किया जाता है, जिसके पास यह लेखा-जोखा होता है।
अर्द्धसैनिक बल की टुकड़ियां रहती हैं रिजर्व
दिल्ली में बड़ी संख्या में होने वाले धरना-प्रदर्शन और रैली को देखते हुए पुलिस बल अपने पास Rapid Action Force की कुछ टुकड़ियों को संसद मार्ग थाने में आरक्षित रखता है, जिससे समय पर इन टुकड़ियों का इस्तेमाल किया जा सके। बड़े धरना-प्रदर्शन और रैलियों में इन टुकड़ियों के जवानों को तैनात किया जाता है।
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Source: HIS Education