भारत में पहली महिला राज्यपाल कौन थी, जानें

भारतीय इतिहास में महिलाओं के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। देश की आजादी से लेकर राजनीति के रण तक महिलाओं ने अपनी भागीदारी दर्ज कराई है। भारत के इतिहास में कई महिलाओं ने महत्वपूर्ण पदों तक पहुंच हमेशा-हमेशा के लिए अपना नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से दर्ज कराया है।

इस कड़ी में क्या आपको भारत की पहली महिला राज्यपाल के बारे में पता है, जिन्हें देशी की आजादी के बाद महिला के रूप में पहली बार किसी राज्य का राज्यपाल बनने का अवसर मिला था। इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

 

कौन थी भारत में पहली महिला राज्यपाल 

भारत में पहली महिला राज्यपाल सरोजिनी नायडू थी, जिन्हें हम सरोजिनी चट्टोपाध्याय के नाम से भी जानते हैं। सरोजिनी का जन्म 13 फरवरी, 1879 को आंध्रप्रदेश के हैदराबाद में हुआ था।

सरोजिनी नायडू के पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय मशहूर विद्वान थे, जबकि उनकी मां एक कवियत्री थी, जो कि बांग्ला भाषा में लिखती थी। 

 

इंग्लैंड से हासिल की थी डिग्री

सरोजनी नायडू ने अपनी स्कूली पढ़ाई की, तो उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए लंदन भेज दिया गया था। यहां रहकर उन्होंने किंग्स कॉलेज और कैंब्रिज के गिरटन कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की। वह इसके साथ-साथ कविताएं भी लिखा करती थी। 

 

महात्मा गांधी से हुई प्रेरित 

सरोजिनी नायडू जब विदेश में थी, तब वह 1914 में पहली बार इंग्लैंड में महात्मा गांधी से मिली। महात्मा गांधी से मिलने के बाद वह उनके विचारों से अधिक प्रभावित हुई और खुद को देश को समर्पित करने का मन बना लिया।

See also  Chaka Khan’s Daughter Claims Diddy Once ‘Got In’ Her Mom’s Face, Had His Security ‘Jump’ Her Teen Brother

इसके बाद उन्होंने देश में कई आंदोलनों में बढ़-चढ़कर भाग लिया। यहां तक कि वह कई बार जेल भी गईं। वह भारत के अलग-अलग हिस्सों में जाती थी और लोगों को आजादी के लिए प्रेरित करती थी। 

 

कई भाषाओं में देती थी भाषण

सरोजनी नायडू जब भारत के अलग-अलग हिस्सों में घूमकर लोगों को आजादी के लिए प्रेरित कर रही थी, तब वह अलग-अलग भाषा में लोगों से संवाद करती थी। उन्हें हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला और गुजराती भाषा आती थी। 

 

किस तरह बनी पहली महिला राज्यपाल

सरोजनी नायडू अपनी लोकप्रियता के कारण साल 1925 में कानपुर में कांग्रेस अधिवेशन में अध्यक्ष के रूप में चुनी गई। इसके बाद वह भारत की ओर से प्रतिनिधि बनकर दक्षिण अफ्रीका भी गई।

देश के आजाद होने के बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की ओर से उन्हें उत्तर प्रदेश राज्य के राज्यपाल की जिम्मेदारी दी गई। इस दौरान उन्होंने कहा था कि वह अपने आपको किसी जंगल के आजाद पक्षी की तरह पिंजरे में होने का अहसास कर रही हैं।

हालांकि, यह जिम्मेदारी उन्हें नेहरू ने दी है, इसलिए वह इसे टाल नहीं सकी। 2 मार्च, 1949 को उनका निधन हो गया था। 

 

पढ़ेंः कौन-थी देश की पहली महिला डॉक्टर, जानें

Categories: Trends
Source: HIS Education

Rate this post

Leave a Comment